Friday, September 19, 2008

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दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला
वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला

क्या कहें कितने मरासिम थे हमारे इस से
वो जो एक शख्स है मुह फेर के जाने वाला

मुंतज़िर किस का हूँ टूटी हुई देहलीज़ पे मैं
कौन आएगा यहाँ कौन है आने वाला

मैं ने देखा है बहारों में चमन को जलते
है कोई ख्वाब की ताबीर बताने वाला?

तुम तकल्लुफ को भी इखलास समझते हो 'फ़राज़'
दोस्त होता नही हर हाथ मिलाने वाला

3 comments:

  1. aare bhatee-je ye video main demo likha kaun aa raha hai? dubai ye behj kar crack mang-wa-oun kya?

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  2. hehe.
    Welcome to my blog, dude.
    I was surprised for your long discommunication.

    Yeah I need it's crack. I didn't find it. the plugins is: "adorage" (plugin for Windows Movie Maker)

    and thanx for comments.

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